Friday, July 8, 2022

शिंज़ो आबे: बुलेट ट्रेन से गंगा आरती तक, टूट गई भारत-जापान दोस्ती की एक मज़बूत डोर

 भारत और जापान की दोस्ती का ज़िक्र जब भी आएगा, साल 1998 का ज़िक्र ज़रूर आता है. दोनों देशों की दोस्ती का ये वो अध्याय है, जब दोस्ती में थोड़ी दरार आ गई थी.

बात साल 1998 की है. भारत ने दोबारा परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. भारत ने 11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में तीन परीक्षण किए. दो दिन बाद 13 मई को दो और परीक्षण किए गए. इसकी भनक कई देशों को नहीं हुई.

इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए. उन देशों में जापान भी एक था.

जापान में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है. जापान ने चूंकि उससे होने वाले त्रासदी को सबसे करीब से देखा है.

ये प्रतिबंध दो साल तक बरक़रार रहे, फिर साल 2000 में दोनों देशों के रिश्तों में एक बार गर्मजोशी दोबारा लौटी.

दोनों देशों की दोस्ती 1998 के प्रतिबंधों के दौर के बाद आज अगर इस मुकाम पर पहुँची है, जहाँ रक्षा, सुरक्षा, मेरीटाइम सिक्योरिटी से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तक हर जगह उनका दख़ल दिखता है, तो इसका बहुत हद तक श्रेय जापान की तरफ से शिंज़ो आबे को जाता है.

आज जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ों आबे नहीं रहे, भारत में भी एक दिन के राष्ट्रीय शोक का एलान किया गया.

भारत-जापान रिश्तों के अहम पड़ाव

लाइन
  • दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए गए. उस त्रासदी से उबरने में उन्हें बहुत वक़्त लगा. दुनिया में एक तरह से जापान अलग थलग पड़ गया.
  • भारत ने साल 1951 एशियन गेम्स की मेज़बानी की. इन खेलों में हिस्सा लेने के लिए भारत ने जापान को न्योता दिया.
  • फिर साल 1952 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत हुई.
  • साल 1958 में जापान ने भारत को पहली आर्थिक मदद दी, जो सिलसिला साल 1991 से लेकर आज तक जारी है.
  • साल 1998-2000 के बीच दो साल के प्रतिबंधों के बाद, 2001 में जापान-भारत के बीच ग्लोबल पार्टनरशिप की शुरुआत हुई, जिसे शिंज़ो आबे अपने कार्यकाल में नई ऊंचाइयों पर ले गए.
  • साल 2006-07 में जब शिंजो आबे जापान के पहली बार प्रधानमंत्री बने. उस दौरान 2007 में वो भारत आए और संसद को संबोधित किया.
  • साल 2014 के गणतंत्र दिवस के मौके पर वो मुख्य अतिथि थे.
  • पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों की दोस्ती और परवान चढ़ी.
  • साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो उपमहाद्वीप के बाहर द्विपक्षीय यात्रा के लिए उन्होंने जापान को ही चुना. अपने दो टर्म में पीएम मोदी छह बार जापान जा चुके हैं.
  • उसी तरह से शिंज़ो आबे अपने दूसरे कार्यकाल में तीन बार (2014, 2015, 2017) भारत आए हैं. कोई दूसरा जापानी प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल में इतनी बार भारत यात्रा पर नहीं आया.






















































































































































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